Skip to Content

लोक नृत्य

राजस्थान की कला संस्कृति में दो प्रकार के नृत्य किए जाते हैं 

शास्त्रीनत्य 

वह नित्य जो संगीत के नियमों से बंधा हुआ होता हैं 

लोक नत्य। 

कालबेलिया लोक नृत्य या सपेरा नत्य

 कल का अर्थ होता है सांप वह बलिया का अर्थ होता है मित्र अर्थात सांप की मित्र जाती इस नृत्य के अंदर प्रमुख नृत्य आते हैं जैसे कालबेलिया बगड़िया इंडोनी पनिहारी और शंकरिया 

1 कालबेलिया  यह नृत्य भीख मांगते समय किया जाता है

2 हिंडोली और पनिहारी यह दोनों नृत्य गीत प्रधान नृत्य है

3 शंकरिया यह प्रेम आख्यान से संबंधित युगल नत्य 

कालबेलिया नृत्य में नृत्क या नृत्यांगना काले रंग की पारंपरिक वेशभूषा धारण कर नृत्य करते है

इस नृत्य में पुंगी/बिन व खजरी वाद्य यंत्र का प्रयोग होता है

सन 2010 में कालबेलिया नृत्य को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया

कोरोना कल में चै‌‍नडाविया नामक मोबाइल एप कालबेलिया नृत्य से संबंधित था 

इस नृत्य के प्रमुख कलाकार 

1 गुलाबो 

2 कंचन सपेरा 

3राजकी

4लीलाकलबेलिया

5रुमाल नथ